भोजन सम्बन्धित स्वास्थ्य सूत्र

. . . . . . .

शाम का भोजन 8 बजे से
पहले करे और सुबह का
भोजन 10 बजे तक कर ले
भरपेट . . . .दोपहर का
भोजन न कर सुबह ही
भरपेट भोजन करे न कि
नाश्ता . . . .दोपहर में फल
,खिरा ,ककरी ,हिरमाना
,तरबूज आदि खाँ सकते है
. ! . . . .जितने भी पशु पक्षि
व जानवर है सब के सब
सुर्य उदय होते ही भरपेट
भोजन करते है इसलिए वे
स्वस्थ्य रहते है . . .क्योकि
जैसे ही सुर्य निकलता वैसे
ही पाचन क्रिया तिब्र
हो जाती है या कहे की
भोजन को पचाने वाला
अंग यानि जठराग्नि
तिब्र होती है और 10 बजे
तक लगभग तिब्र होती है
यानि आप इस समय भोजन
करते हो तो सब अच्छी
प्रकार पच जाता है तो
सुबह भरपेट भोजन करे और
भोजन बाद पानी मत
पिये . . .डेड़ या 2 घंटे बाद
पिये ,भोजन के 40 मिनट
पहले पानी पी सकते है
ताकि भोजन के बीच में
प्यास न लगे . .ये मेरा
नियम नही बल्की आयुर्वेद
का नियम है . . . .जो
अत्यन्त महत्वपुर्ण है . .
.भोजन कर पानी पियोंगे
तो जठराग्नि शान्त हो
जायेंगी तो भोजन पचेंगा
नही और वात यानि गैस
बनायेंगी और बहुत से
रोगो से घिर जावोंगे
जैसा कि लोग हो रहे
क्योकि हमने आयुर्वेद को
भूला दिया है . . . .और शाम
का भोजन भी सुर्य डुबने
यानि अस्त होने से पहले
कर लेना चाहिए यानि
सुर्यास्त होने के 45
मिनट पहले कर लो तो
सोने पे सुहागा नही तो 8
बजे तक जरुर कर ले क्योकि
सुर्य की उपस्थिती में ही
भोजन पचता है और 8 बजे
तक सुर्य का प्रभाव
रहता है . . .जैसे दिपक
जलाया जाता तो
प्रारम्भ मे तेज जलता है
और बुझते समय भी तेज
होकर बूझता है यानि
कहने का तात्पर्य है कि
जब सुर्य निकलता है तो
पाचन क्रिया तिब्र
होती ,तेज होती तो जो
भी खाओंगे सब पच जायेंगा
और जैसे सुर्य डूबने को
होता तो पाचन क्रिया
तिब्र होती जैसे दिपक
बूझने पर होता यानि
सुर्य डूबने के 40 मिनट
पहले कर लो या सुर्य के
डूबने के थोड़ी देर बाद कर
ले जैसा कि जैन धर्म को
मानने वाले लोग सुर्यास्त
के पहले भोजन करते है .
.सभी पशु पक्षी भी इस
नियम का पालन करते है
अत: स्वस्थ्य रहना है तो
आयुर्वेद के इन नियमो का
पालन करे

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चीनी एक जहर है
जो अनेक रोगों का कारण
है, जानिये कैसे...

(1)-- चीनी बनाने की
प्रक्रिया में गंधक का
सबसे अधिक प्रयोग होता
है । गंधक माने पटाखों का
मसाला ।

(2)-- गंधक अत्यंत कठोर
धातु है जो शरीर मेँ चला
तो जाता है परंतु बाहर
नहीँ निकलता ।

(3)-- चीनी कॉलेस्ट्रॉल
बढ़ाती है जिसके कारण
हृदयघात या हार्ट अटैक
आता है ।

(4)-- चीनी शरीर के वजन
को अनियन्त्रित कर देती
है जिसके कारण मोटापा
होता है ।

(5)-- चीनी रक्तचाप या
ब्लड प्रैशर को बढ़ाती है


(6)-- चीनी ब्रेन अटैक का
एक प्रमुख कारण है ।

(7)-- चीनी की मिठास
को आधुनिक चिकित्सा मेँ
सूक्रोज़ कहते हैँ जो इंसान
और जानवर दोनो पचा
नहीँ पाते ।

(8)-- चीनी बनाने की
प्रक्रिया मेँ तेइस
हानिकारक रसायनोँ का
प्रयोग किया जाता है ।

(9)-- चीनी डाइबिटीज़
का एक प्रमुख कारण है ।

(10)-- चीनी पेट की जलन
का एक प्रमुख कारण है ।

(11)-- चीनी शरीर मे
ट्राइ ग्लिसराइड को
बढ़ाती है ।

(12)-- चीनी पेरेलिसिस
अटैक या लकवा होने का
एक प्रमुख कारण है।

(13) चीनी बनाने की
सबसे पहली मिल अंग्रेजो
ने 1868 मेँ लगाई थी ।
उसके पहले भारतवासी
शुद्ध देशी गुड़ खाते थे और
कभी बीमार नहीँ पड़ते थे


(14) कृपया जितना हो
सके, चीनी से गुड़ पे आएँ ।
अच्छी बातें, अच्छे लोगों,
अपने मित्र , रिश्तेदार
और ग्रुप में अवश्य शेयर कर

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dava aur docters

ऐलोपैथ का डाक्टर
मरीज को कोई
दवा दिया यदि कोई
साईडईफेक्ट हुआ
तो रोगी डाक्टर
को नही बल्की सोचेंगा दवा समय
से नही लिया या ये
खा लिया वो खाँ लिया इसलिए
इतना श्रध्दा है
ऐलौपैथ के
डाक्टरो पर ....यदि कोई
10 रुपये के फिस पर
रोग दुर कर दे
तो छोटा डाक्टर
यदि 1000 के फिस पर
रोग दूर करे
तो बड़ा डाक्टर ....जो रोग या बिमारी
मात्र रसोईघर के कुछ
मसालो या औषधियो से
ठिक
हो सकता उसी रोग
को लोग बड़े बड़े
डाक्टरो को दिखाते
क्योकि उन्होने
कभी आयुर्वेद
को पढ़ा नही, कभी राजीव दीक्षित जी को सुना ही नही ...जानते नही तो सुनोंगे कैसे ...और जानोंगे कहा से ....कभी इन्टरनेट पर कुछ अच्छा सर्च किया ही नही .....कुछ अच्छा सर्च तो करो ..अच्छे मित्रो को कभी ऐड किया ही नही  ...ऐलोपैथ
के डाक्टर ..के पास
जाते हो ..दवाये
देता उसका साईड
इफेक्ट हुआ दुसरा रोग
हुआ
तो उसका ईलाज ...सब्जियो की तरह
दवाये खिलाई
जाती है 4 सुबह तो 4
दोपहर तो 4 शाम
को तो 4 सोते
समय ...दिमाग खराब
करके रख
दिया है .....कुछ
इमानदार डाक्टर
भी ऐलोपैथ मे होते है
जो मरीजो के साथ
खिलवाड़
नही करते ...पैसे
नही ऐंठते ....कुछ घर
की औषधिया भी बता देते
है ....लेकिन कुछ
तो डाक्टरो को तो बस
पैसा ही पैसा दिखाई
देता है ...पैसा दो तो आपरेशन
करेंगे या हाथ
लगायेंगे ...इतना लाख
या करोड़
जमा करो तो ईलाज
करेंगे नही तो ले जाओ
मरने के लिए ... ...अधिकतर डाक्टर कमिशन खोर होते है जिस दवा बनाने वाली कम्पनियाँ अपनी दवाये लिखने के लिए अधिक कमिशन या पैसा देंगी ..या कभी ट्यूर या गिप्ट देती रहेंगी तो डाक्टर उन्ही कम्पनियाँ की दवाये मरीज को लिखेंगे भले ही वो खतरनाक व गैरजरुरी हो ....जिन्हे आप भगवान कहते हो आज वो ही सबसे बड़ा हैवान है ....पहले पैसा चूँसो ...फिर इलाज करो ....ठिक कर दिया तो फिर वो मरीज आयेंगा क्योकि रोग का कारण बताया ही नही ...कारण त्याग दो बिमारियाँ अपने आप दुर होता चली जायेंगी ..कुछ रसोई की औषधिया ले लो आयुर्वेद मे बताये गये स्वास्थ्य नियम जैसे भोजन कर पानी 1 घंटे बाद पिना ,सुबह उठते ही पानी पिना ,रात को  भोजन 8 बजे से पहले कर लो ..रात को बायी करवट सोना कुछ छोटे छोटे नियमो का पालन मात्र से ही हम अपनी बिमारियो को दुर कर सकते और जीवन प्रयत्न आयुर्वेद मे बताये गये नियमो का पालन कर व थोड़ी देर योग ,प्राणायाम व ध्यान किया तो हम कभी बिमार होंगे ही नही .

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