dava aur docters

ऐलोपैथ का डाक्टर
मरीज को कोई
दवा दिया यदि कोई
साईडईफेक्ट हुआ
तो रोगी डाक्टर
को नही बल्की सोचेंगा दवा समय
से नही लिया या ये
खा लिया वो खाँ लिया इसलिए
इतना श्रध्दा है
ऐलौपैथ के
डाक्टरो पर ....यदि कोई
10 रुपये के फिस पर
रोग दुर कर दे
तो छोटा डाक्टर
यदि 1000 के फिस पर
रोग दूर करे
तो बड़ा डाक्टर ....जो रोग या बिमारी
मात्र रसोईघर के कुछ
मसालो या औषधियो से
ठिक
हो सकता उसी रोग
को लोग बड़े बड़े
डाक्टरो को दिखाते
क्योकि उन्होने
कभी आयुर्वेद
को पढ़ा नही, कभी राजीव दीक्षित जी को सुना ही नही ...जानते नही तो सुनोंगे कैसे ...और जानोंगे कहा से ....कभी इन्टरनेट पर कुछ अच्छा सर्च किया ही नही .....कुछ अच्छा सर्च तो करो ..अच्छे मित्रो को कभी ऐड किया ही नही  ...ऐलोपैथ
के डाक्टर ..के पास
जाते हो ..दवाये
देता उसका साईड
इफेक्ट हुआ दुसरा रोग
हुआ
तो उसका ईलाज ...सब्जियो की तरह
दवाये खिलाई
जाती है 4 सुबह तो 4
दोपहर तो 4 शाम
को तो 4 सोते
समय ...दिमाग खराब
करके रख
दिया है .....कुछ
इमानदार डाक्टर
भी ऐलोपैथ मे होते है
जो मरीजो के साथ
खिलवाड़
नही करते ...पैसे
नही ऐंठते ....कुछ घर
की औषधिया भी बता देते
है ....लेकिन कुछ
तो डाक्टरो को तो बस
पैसा ही पैसा दिखाई
देता है ...पैसा दो तो आपरेशन
करेंगे या हाथ
लगायेंगे ...इतना लाख
या करोड़
जमा करो तो ईलाज
करेंगे नही तो ले जाओ
मरने के लिए ... ...अधिकतर डाक्टर कमिशन खोर होते है जिस दवा बनाने वाली कम्पनियाँ अपनी दवाये लिखने के लिए अधिक कमिशन या पैसा देंगी ..या कभी ट्यूर या गिप्ट देती रहेंगी तो डाक्टर उन्ही कम्पनियाँ की दवाये मरीज को लिखेंगे भले ही वो खतरनाक व गैरजरुरी हो ....जिन्हे आप भगवान कहते हो आज वो ही सबसे बड़ा हैवान है ....पहले पैसा चूँसो ...फिर इलाज करो ....ठिक कर दिया तो फिर वो मरीज आयेंगा क्योकि रोग का कारण बताया ही नही ...कारण त्याग दो बिमारियाँ अपने आप दुर होता चली जायेंगी ..कुछ रसोई की औषधिया ले लो आयुर्वेद मे बताये गये स्वास्थ्य नियम जैसे भोजन कर पानी 1 घंटे बाद पिना ,सुबह उठते ही पानी पिना ,रात को  भोजन 8 बजे से पहले कर लो ..रात को बायी करवट सोना कुछ छोटे छोटे नियमो का पालन मात्र से ही हम अपनी बिमारियो को दुर कर सकते और जीवन प्रयत्न आयुर्वेद मे बताये गये नियमो का पालन कर व थोड़ी देर योग ,प्राणायाम व ध्यान किया तो हम कभी बिमार होंगे ही नही .

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