Aug 12, 2017

भोजन सम्बन्धित स्वास्थ्य सूत्र

. . . . . . .

शाम का भोजन 8 बजे से
पहले करे और सुबह का
भोजन 10 बजे तक कर ले
भरपेट . . . .दोपहर का
भोजन न कर सुबह ही
भरपेट भोजन करे न कि
नाश्ता . . . .दोपहर में फल
,खिरा ,ककरी ,हिरमाना
,तरबूज आदि खाँ सकते है
. ! . . . .जितने भी पशु पक्षि
व जानवर है सब के सब
सुर्य उदय होते ही भरपेट
भोजन करते है इसलिए वे
स्वस्थ्य रहते है . . .क्योकि
जैसे ही सुर्य निकलता वैसे
ही पाचन क्रिया तिब्र
हो जाती है या कहे की
भोजन को पचाने वाला
अंग यानि जठराग्नि
तिब्र होती है और 10 बजे
तक लगभग तिब्र होती है
यानि आप इस समय भोजन
करते हो तो सब अच्छी
प्रकार पच जाता है तो
सुबह भरपेट भोजन करे और
भोजन बाद पानी मत
पिये . . .डेड़ या 2 घंटे बाद
पिये ,भोजन के 40 मिनट
पहले पानी पी सकते है
ताकि भोजन के बीच में
प्यास न लगे . .ये मेरा
नियम नही बल्की आयुर्वेद
का नियम है . . . .जो
अत्यन्त महत्वपुर्ण है . .
.भोजन कर पानी पियोंगे
तो जठराग्नि शान्त हो
जायेंगी तो भोजन पचेंगा
नही और वात यानि गैस
बनायेंगी और बहुत से
रोगो से घिर जावोंगे
जैसा कि लोग हो रहे
क्योकि हमने आयुर्वेद को
भूला दिया है . . . .और शाम
का भोजन भी सुर्य डुबने
यानि अस्त होने से पहले
कर लेना चाहिए यानि
सुर्यास्त होने के 45
मिनट पहले कर लो तो
सोने पे सुहागा नही तो 8
बजे तक जरुर कर ले क्योकि
सुर्य की उपस्थिती में ही
भोजन पचता है और 8 बजे
तक सुर्य का प्रभाव
रहता है . . .जैसे दिपक
जलाया जाता तो
प्रारम्भ मे तेज जलता है
और बुझते समय भी तेज
होकर बूझता है यानि
कहने का तात्पर्य है कि
जब सुर्य निकलता है तो
पाचन क्रिया तिब्र
होती ,तेज होती तो जो
भी खाओंगे सब पच जायेंगा
और जैसे सुर्य डूबने को
होता तो पाचन क्रिया
तिब्र होती जैसे दिपक
बूझने पर होता यानि
सुर्य डूबने के 40 मिनट
पहले कर लो या सुर्य के
डूबने के थोड़ी देर बाद कर
ले जैसा कि जैन धर्म को
मानने वाले लोग सुर्यास्त
के पहले भोजन करते है .
.सभी पशु पक्षी भी इस
नियम का पालन करते है
अत: स्वस्थ्य रहना है तो
आयुर्वेद के इन नियमो का
पालन करे

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